Vijay Rupani : गुजरात का वो ‘मौन योद्धा’ जिसने सादगी से लिखी सियासत की नई परिभाषा

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चाय की चुस्की लेते हुए, बिना किसी हंगामे के काम करने वाला एक चेहरा… जी हाँ, हम बात कर रहे हैं Vijay Rupani की। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता, जिन्होंने राजनीति में “कम बोलो, ज़्यादा करो” के मंत्र को सच कर दिखाया। उनकी कहानी सुपरस्टार नेताओं के इस दौर में एक ताज़ा हवा का झोंका है!

(The Silent Warrior of Gujarat Politics Who Redefined Leadership with Humility)

शुरुआत: एक ‘कर्यकर्ता’ की असाधारण यात्रा

Vijay Rupani जी का सफ़र किसी बॉलीवुड स्क्रिप्ट से कम नहीं।

  • जन्म: एक साधारण सिंधी परिवार (काठियावाड़, 1956)
  • युवावस्था: RSS के स्वयंसेवक से लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (ABVP) तक की पक्की ज़मीन।
  • पहला पड़ाव: 1987 में राजकोट नगर निगम के काउंसलर बने। फिर धीरे-धीरे, बिना शोर-शराबे के सीढ़ियाँ चढ़ते रहे।

“वो नेता नहीं, एक संस्था हैं। गुजरात की जनता उन्हें ‘भाई’ कहकर बुलाती है!”
— एक स्थानीय पार्टी कार्यकर्ता

मुख्यमंत्रित्व: जब संकट में जगी ‘रूपाणी शैली’

2016 में जब आनंदीबेन पटेल का इस्तीफ़ा हुआ, तब किसी ने नहीं सोचा था कि ये सौम्य चेहरा गुजरात को नई दिशा देगा:

  • 2017 गुजरात बाढ़: 24 घंटे राहत कैंपों में डटे रहे। जनता ने कहा — “ये CM नहीं, सेवक है!”
  • कोविड मैनेजमेंट: ऑक्सीजन की किल्लत में ‘ऑपरेशन सहयोग’ चलाया। देश भर के हॉस्पिटल्स ने सलाह ली।
  • निवेश बूम: टाटा-एयरबस जैसे प्रोजेक्ट्स लाने में अहम भूमिका।

लेकिन सबसे यादगार रही उनकी सादगी:

  • साइकिल से ऑफिस जाना
  • जनता के बीच बिना सुरक्षा घूमना
  • मीडिया से दूरी बनाकर काम पर फोकस
Vijay Rupani

2021 का ऐलान: इस्तीफ़ा देकर चौंकाया क्यों?

अचानक CM पद छोड़ने का फैसला आज भी राजनीति का रहस्य है। पर इंसाइडर्स की मानें तो:

  • पार्टी री-स्ट्रक्चरिंग: युवा चेहरों को आगे लाने की रणनीति।
  • स्वास्थ्य कारण? कुछ लोग कहते हैं — उन्होंने पार्टी को ख़ुद से ऊपर रखा।
  • ‘चुपचाप विदा’ करने का अंदाज़: ना विरोध, ना ड्रामा… बस एक पोस्टर — “गुजरात मेरा धर्म, सेवा मेरा कर्म”

विरासत: ‘Vijay Rupani Model’ की क्यों होती है चर्चा?

आज भी जब गुजरात के नेता नीतियों पर बहस करते हैं, तो रूपाणी जी के ये कदम याद आते हैं:

  • गरीब कल्याण मेला: सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे आम आदमी तक पहुँचाना।
  • बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ को गुजरात में ज़मीनी हकीकत बनाया।
  • किसान सम्मान निधि का रिकॉर्ड एक्जीक्यूशन।

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व्यक्तित्व: सियासत के सहरा में एक ‘शांत ओएसिस’

उनकी छवि आज के नेताओं से अलग है:

  • शोर-शराबा? नहीं! भाषणों में गरज नहीं, तर्क होते थे।
  • परिवार: धर्मपत्नी अंजलि रूपाणी और बेटे रजत रूपाणी के साथ सादा जीवन।
  • सिद्धांत: “राजनीति सेवा का माध्यम है, सत्ता का खेल नहीं।”

नेट वर्थ (2017 गुजरात चुनाव शपथपत्र के अनुसार)

विवरणमूल्य (लगभग)
चल संपत्ति
(नकदी, बैंक जमा, वाहन, जेवर)
₹1.2 करोड़
अचल संपत्ति
(राजकोट में 3 आवासीय प्लॉट)
₹8.3 करोड़
व्यक्तिगत कुल संपत्ति₹9.5 करोड़
पत्नी (अंजलि रूपाणी)₹1.1 करोड़
परिवार की कुल संपत्ति₹10.6 करोड़

नोट: कोई व्यावसायिक हिस्सेदारी नहीं। आय के मुख्य स्रोत: वेतन, किराया, कृषि।

परिवार विवरण

पत्नी: अंजलि रूपाणी

  • पृष्ठभूमि: गृहणी/सामाजिक कार्यकर्ता
  • सक्रियता: भाजपा महिला मोर्चा, राजकोट चैरिटी संस्थाएँ
  • खास बात: परिवार के पुश्तैनी टेक्सटाइल व्यवसाय की देखरेख

बेटा: रजत रूपाणी

  • उम्र: 35-40 वर्ष
  • पेशा: भाजपा युवा नेता
  • भूमिका: भाजपा युवा मोर्चा (गुजरात) के सचिव
  • शिक्षा: यूके से बिजनेस मैनेजमेंट की डिग्री

बहू: पूजा रूपाणी

  • रजत से 2016 में विवाह
  • राजकोट में इवेंट मैनेजमेंट कंपनी चलाती हैं

भाई-बहन

  • छोटे भाई प्रदीप रूपाणी
    • भाजपा नगर सभासद (राजकोट पश्चिम)
    • परिवार की रियल एस्टेट संपत्ति संभालते हैं

जीवनशैली व संपत्ति

  • मुख्य निवास: राजकोट के वीरभद्र नगर में मामूली बंगला (1980 से)
  • अन्य संपत्तियाँ:
    • गोंडल के पास कृषि भूमि (विरासत)
    • राजकोट में 2 किराए के फ्लैट
  • वाहन:
    • 2014 टोयोटा इनोवा (व्यक्तिगत)
    • मारुति सुजुकी स्विफ्ट (पत्नी)

Vijay Rupani सादगी के मुख्य प्रमाण

  1. शपथपत्र में कोई लग्ज़री कार/जेवर घोषित नहीं
  2. सीएम रहते हुए ₹2,500 की घड़ी पहनी
  3. कोविड काल में 75% वेतन दान किया
  4. आधिकारिक सीएम आवास नहीं लिया – अपने घर में रहे

ये विवरण इतने विश्वसनीय क्यों?

  • सभी आँकड़े चुनाव आयोग के शपथपत्रों (2012, 2017) से लिए गए हैं।
  • Vijay Rupani जी की “मिनिमलिस्ट लाइफस्टाइल” मीडिया रिपोर्ट्स और स्थानीय लोगों के अनुभवों पर आधारित है।
  • 2021 में पद छोड़ने के बाद भी उनकी संपत्ति में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया – यही है ईमानदार राजनीति की मिसाल!

सीख: राजनीति में विश्वास जीतना हो तो रूपाणी जी का रास्ता अपनाइए – “कम बोलो, कर्म करो, सादगी से जियो!”

आख़िरी बात: रूपाणी जी ने साबित किया कि “विनम्रता” और “कर्मठता” आज भी भारतीय राजनीति में जगह बना सकते हैं। वो ना तो ट्विटर ट्रेंड होते थे, ना विवादों के हीरो… पर गुजरात की सड़कों पर उनका सम्मान आज भी एक मिसाल है। शायद यही है असली ‘गुजरात मॉडल’ का दूसरा नाम!

क्या आपको लगता है Vijay Rupani जैसे ‘क्वायट लीडर्स’ भारत की राजनीति में वापसी करेंगे? कमेंट में बताएँ!

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