Vijay Rupani : गुजरात का वो ‘मौन योद्धा’ जिसने सादगी से लिखी सियासत की नई परिभाषा

Vijay Rupani

चाय की चुस्की लेते हुए, बिना किसी हंगामे के काम करने वाला एक चेहरा… जी हाँ, हम बात कर रहे हैं Vijay Rupani की। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता, जिन्होंने राजनीति में “कम बोलो, ज़्यादा करो” के मंत्र को सच कर दिखाया। उनकी कहानी सुपरस्टार नेताओं के इस दौर में एक ताज़ा हवा का झोंका है! (The Silent Warrior of Gujarat Politics Who Redefined Leadership with Humility) शुरुआत: एक ‘कर्यकर्ता’ की असाधारण यात्रा Vijay Rupani जी का सफ़र किसी बॉलीवुड स्क्रिप्ट से कम नहीं। “वो नेता नहीं, एक संस्था हैं। गुजरात की जनता उन्हें ‘भाई’ कहकर बुलाती है!”— एक स्थानीय पार्टी कार्यकर्ता मुख्यमंत्रित्व: जब संकट में जगी ‘रूपाणी शैली’ 2016 में जब आनंदीबेन पटेल का इस्तीफ़ा हुआ, तब किसी ने नहीं सोचा था कि ये सौम्य चेहरा गुजरात को नई दिशा देगा: लेकिन सबसे यादगार रही उनकी सादगी: 2021 का ऐलान: इस्तीफ़ा देकर चौंकाया क्यों? अचानक CM पद छोड़ने का फैसला आज भी राजनीति का रहस्य है। पर इंसाइडर्स की मानें तो: विरासत: ‘Vijay Rupani Model’ की क्यों होती है चर्चा? आज भी जब गुजरात के नेता नीतियों पर बहस करते हैं, तो रूपाणी जी के ये कदम याद आते हैं: Continue Reading    … व्यक्तित्व: सियासत के सहरा में एक ‘शांत ओएसिस’ उनकी छवि आज के नेताओं से अलग है: नेट वर्थ (2017 गुजरात चुनाव शपथपत्र के अनुसार) विवरण मूल्य (लगभग) चल संपत्ति(नकदी, बैंक जमा, वाहन, जेवर) ₹1.2 करोड़ अचल संपत्ति(राजकोट में 3 आवासीय प्लॉट) ₹8.3 करोड़ व्यक्तिगत कुल संपत्ति ₹9.5 करोड़ पत्नी (अंजलि रूपाणी) ₹1.1 करोड़ परिवार की कुल संपत्ति ₹10.6 करोड़ नोट: कोई व्यावसायिक हिस्सेदारी नहीं। आय के मुख्य स्रोत: वेतन, किराया, कृषि। परिवार विवरण पत्नी: अंजलि रूपाणी बेटा: रजत रूपाणी बहू: पूजा रूपाणी भाई-बहन जीवनशैली व संपत्ति Vijay Rupani सादगी के मुख्य प्रमाण ये विवरण इतने विश्वसनीय क्यों? सीख: राजनीति में विश्वास जीतना हो तो रूपाणी जी का रास्ता अपनाइए – “कम बोलो, कर्म करो, सादगी से जियो!” आख़िरी बात: रूपाणी जी ने साबित किया कि “विनम्रता” और “कर्मठता” आज भी भारतीय राजनीति में जगह बना सकते हैं। वो ना तो ट्विटर ट्रेंड होते थे, ना विवादों के हीरो… पर गुजरात की सड़कों पर उनका सम्मान आज भी एक मिसाल है। शायद यही है असली ‘गुजरात मॉडल’ का दूसरा नाम! क्या आपको लगता है Vijay Rupani जैसे ‘क्वायट लीडर्स’ भारत की राजनीति में वापसी करेंगे? कमेंट में बताएँ!

Yogi Adityanath एक संत और रणनीतिक नेता की प्रेरणादायक कहानी

Yogi Adityanath

Yogi Adityanath, एक ऐसा नाम जो सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे भारत की राजनीति में एक प्रभावशाली पहचान बन चुका है। एक साधु का मुख्यमंत्री बनना कोई सामान्य बात नहीं, परंतु गोरखनाथ मठ के महंत से लेकर यूपी के शीर्ष पद तक का सफर उनकी नेतृत्व क्षमता को दर्शाता है। नेतृत्व की शुरुआत और राजनीतिक पृष्ठभूमि 1998 में मात्र 26 वर्ष की आयु में सांसद बनना और फिर लगातार पाँच बार चुनाव जीतना योगी जी की लोकप्रियता और उनके जनसंपर्क कौशल का प्रमाण है। 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने जिस दृढ़ता से निर्णय लिए, उसने उन्हें देश के सबसे सख्त और ईमानदार नेताओं में स्थान दिलाया। उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था में क्रांतिकारी सुधार माफिया राज का अंत कभी उत्तर प्रदेश को ‘गुंडाराज’ कहा जाता था। लेकिन Yogi Sarkar ने एनकाउंटर नीति और सख्त कानूनों से माफिया तंत्र को जड़ से उखाड़ फेंका। अतीक अहमद जैसे अपराधियों की जायदाद जब्त कर जनता को यह संदेश दिया कि अब न्याय होगा। महिलाओं की सुरक्षा के लिए मिशन शक्ति ‘मिशन शक्ति’ के तहत महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और आत्मनिर्भरता के लिए अनेक कदम उठाए गए। हेल्पलाइन नंबर, पिंक बूथ, महिला बीट अधिकारी – सबने मिलकर एक सुरक्षित वातावरण तैयार किया। बुनियादी ढांचे में ऐतिहासिक बदलाव एक्सप्रेसवे और सड़क नेटवर्क विस्तार पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, गंगा एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे जैसे मेगा प्रोजेक्ट्स ने उत्तर प्रदेश को एक नए युग में पहुंचा दिया है। इनसे न केवल यातायात तेज हुआ, बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़े। मेट्रो और एयरपोर्ट प्रोजेक्ट्स लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, मेरठ जैसे शहरों में मेट्रो सेवाओं की शुरुआत, और जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट जैसे वैश्विक स्तर के प्रोजेक्ट्स ने यूपी को अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्थापित कर दिया है। धार्मिक पर्यटन और सांस्कृतिक पुनर्जागरण अयोध्या और काशी का कायाकल्प राम मंदिर का निर्माण और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर जैसी योजनाओं ने न केवल धार्मिक आस्था को बल दिया, बल्कि पर्यटन उद्योग को भी सशक्त किया। पर्यटन उद्योग को नई दिशा ‘डेस्टिनेशन यूपी’ योजना के तहत राज्य के धार्मिक स्थलों को वैश्विक आकर्षण का केंद्र बनाया गया है, जिससे रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था को जबरदस्त बढ़ावा मिला है। युवाओं के लिए रोजगार सृजन की योजनाएँ Yogi Sarkar ने युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अनेक योजनाएं शुरू कीं। ‘एक जिला एक उत्पाद’ (ODOP) योजना ने स्थानीय कला और शिल्प को रोजगार का जरिया बनाया। ‘मिशन रोजगार’ के तहत लाखों सरकारी नौकरियों की प्रक्रिया पारदर्शी रूप से शुरू की गई। भावनात्मक पहलू: हर युवा को अपने राज्य में काम मिले, ये सपना योगी आदित्यनाथ ने देखा और पूरा किया। उनके लिए बेरोजगारी सिर्फ आंकड़ा नहीं, एक घर की टूटी उम्मीद होती है – और यही सोच उन्हें आम से खास बनाती है। औद्योगिक निवेश में उत्तर प्रदेश की छलांग UP इन्वेस्टर्स समिट्स के ज़रिए योगी सरकार ने हजारों करोड़ के निवेश आकर्षित किए। नोएडा और ग्रेटर नोएडा जैसे क्षेत्र आज ग्लोबल कंपनियों की पसंद बन चुके हैं। भावना जुड़ी है सपनों से – जहाँ पहले उद्योगपति डरते थे निवेश करने से, अब वही भरोसे के साथ अपना भविष्य यूपी में देख रहे हैं। डिजिटल इंडिया की दिशा में प्रयास ई-गवर्नेंस, डिजिटल पोर्टल्स, ऑनलाइन सेवाएं – ये सब आज यूपी को तकनीकी रूप से मजबूत बना रहे हैं। शिक्षा से लेकर व्यापार तक, हर क्षेत्र में तकनीक को प्राथमिकता दी गई है। शिक्षा क्षेत्र में सुधार ‘स्कूल चले हम अभियान’, ‘ऑपरेशन कायाकल्प’, और सरकारी स्कूलों के लिए स्मार्ट क्लासेस – इन सबने शिक्षा की गुणवत्ता को नया जीवन दिया है। भावनात्मक जुड़ाव: हर गरीब माता-पिता चाहता है कि उसका बच्चा पढ़े और आगे बढ़े। योगी सरकार ने इस उम्मीद को हकीकत में बदला है। स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार कोविड के दौरान पीपीई किट, ऑक्सीजन प्लांट, टेस्टिंग लैब जैसी सुविधाएं तेजी से बनाई गईं। जिला अस्पतालों को आधुनिक बनाया गया और हेल्थ एटीएम की शुरुआत हुई। Yogi Sarkar ने दिखाया – स्वास्थ्य सिर्फ इलाज नहीं, एक जीवन की सुरक्षा है। किसानों की आय और कल्याण एमएसपी पर रिकॉर्ड खरीद, किसान सम्मान निधि, सिंचाई परियोजनाएं – ये सभी पहल किसानों के जीवन स्तर को ऊपर ले जाने के लिए की गईं। भावना से जुड़ी बात: जब किसान खुश होता है, तब देश मजबूत होता है। Yogi Adityanath ने इस सच को अपने काम से साबित किया। भ्रष्टाचार पर सख्त नियंत्रण सरकारी कार्यालयों में डिजिटल ट्रैकिंग, ट्रांसफर-पोस्टिंग की पारदर्शी प्रणाली और घूसखोरी पर जीरो टॉलरेंस ने प्रशासन में ईमानदारी को बढ़ावा दिया। जनता को यह महसूस होने लगा है कि अब “काम रिश्वत से नहीं, नियम से होता है।” महिला सशक्तिकरण की ठोस पहल ‘बालिका सुरक्षा योजना’, ‘कन्या सुमंगला योजना’, ‘महिला हेल्पलाइन 1090’ जैसी योजनाओं ने महिलाओं को न केवल सुरक्षा दी बल्कि आत्मनिर्भर बनने की दिशा में प्रेरित किया। कोविड-19 प्रबंधन में योगी मॉडल जब देश के अन्य राज्यों में व्यवस्था चरमरा गई थी, यूपी ने सबसे ज्यादा टेस्टिंग, सबसे ज्यादा रिकवरी और सबसे कम मृत्यु दर जैसे रिकॉर्ड बनाए। दिल को छूने वाली सच्चाई: योगी ने खुद गांव-गांव जाकर हालात देखे, जनता को आश्वासन दिया – “मैं हूं, डरने की जरूरत नहीं।” यही तो है एक सच्चा नेता। अंतरराष्ट्रीय छवि और विदेशी निवेश Uttar Pradesh अब सिर्फ भारत का नहीं, वैश्विक निवेशकों का केंद्र बन चुका है। योगी सरकार की स्थिर नीतियां और सुरक्षा व्यवस्था ने विदेशी कंपनियों का भरोसा जीता है। भावनात्मक जुड़ाव और जनता में लोकप्रियता उनकी बातों में दम है, और निर्णयों में साफगोई। जनता को लगता है – “ये नेता हमारे लिए काम करता है।” चाहे गरीब हो या व्यापारी, युवती हो या किसान – हर वर्ग खुद को उनके निर्णयों में जुड़ा पाता है। निष्कर्ष: क्यों योगी आदित्यनाथ हैं भारत के सबसे प्रभावशाली मुख्यमंत्री? Yogi Adityanath सिर्फ एक मुख्यमंत्री नहीं हैं – वे एक आंदोलन हैं, एक सोच हैं, और एक भरोसा हैं। उनके निर्णयों में राष्ट्रहित होता है, उनके शब्दों में सच्चाई होती है।उत्तर प्रदेश की पहचान बदलने वाले इस नेता ने ये साबित कर दिया है कि अगर नेतृत्व में ईमानदारी और साहस हो, तो असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। FAQs Continue Reading…

Mohak Mangal vs ANI: करोड़ों की डिमांड, कॉपीराइट या डिजिटल वसूली?

Mohak Mangal

YouTube इंडिया में उभरा नया विवाद: ANI और कॉपीराइट स्ट्राइक का खेल हाल ही में प्रसिद्ध यूट्यूबर Mohak Mangal ने एक गंभीर मुद्दा उजागर किया है जो भारत के डिजिटल स्पेस में फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन और फेयर यूज़ को लेकर बड़े सवाल खड़े करता है। आरोप है कि समाचार एजेंसी Asian News International (ANI) द्वारा जानबूझकर यूट्यूब क्रिएटर्स को टारगेट किया जा रहा है, और उनसे वीडियो हटवाने के नाम पर लाखों रुपये की मांग की जा रही है। क्या ANI कर रही है कॉपीराइट का दुरुपयोग? भारत में कई यूट्यूब क्रिएटर्स जो समाचार, एजुकेशन या सामाजिक कमेंट्री से जुड़ी सामग्री बनाते हैं, उन्होंने आरोप लगाया है कि ANI उनके वीडियो पर कॉपीराइट स्ट्राइक लगा रही है। यह स्ट्राइक्स आमतौर पर उन वीडियो पर होती हैं जिनमें ANI के छोटे फुटेज का उपयोग किया गया होता है—even under fair use. सबसे चौंकाने वाली बात? इन स्ट्राइक्स को हटाने के बदले में कथित तौर पर लाखों रुपये की मांग की जा रही है। अगर कोई क्रिएटर पेमेंट नहीं करता, तो उसके चैनल पर तीन स्ट्राइक्स लग सकती हैं और चैनल परमानेंटली डिलीट हो सकता है। फेयर यूज़ बनाम लीगल बुलीइंग Fair Use एक ऐसा कानूनी सिद्धांत है जो एजुकेशनल, कमेंट्री, समीक्षा या रिपोर्टिंग के लिए सीमित रूप से कॉपीराइटेड सामग्री के उपयोग की अनुमति देता है। भारत में इसके नियम थोड़े अस्पष्ट हैं, और ऐसा लगता है कि ANI इस ग्रे ज़ोन का फायदा उठा रही है। यह स्थिति यूट्यूब इंडिया में डिजिटल सेंसरशिप का रूप लेती जा रही है, जहाँ छोटे क्रिएटर्स पर दबाव बनाया जा रहा है कि वे बड़े मीडिया हाउसेज़ की सामग्री इस्तेमाल न करें—even for critical or educational purposes. YouTube की जिम्मेदारी और चुप्पी YouTube के कॉपीराइट सिस्टम की खामियां भी इस विवाद में उजागर हुई हैं। बड़ी मीडिया कंपनियां आसानी से कॉपीराइट क्लेम कर सकती हैं, लेकिन छोटे क्रिएटर्स को अपील करने में समय और कठिनाई का सामना करना पड़ता है। कई मामलों में स्ट्राइक हटवाने के लिए प्राइवेट नेगोशिएशन का सहारा लिया जाता है, जहाँ कथित तौर पर पैसा देने की डिमांड होती है। यह यूट्यूब की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर भी सवाल उठाता है। डिजिटल अभिव्यक्ति पर खतरा अगर क्रिएटर्स को हर बार डर लगेगा कि किसी समाचार फुटेज का उपयोग करने पर उनका चैनल बंद हो सकता है, तो वे महत्वपूर्ण, तथ्य-आधारित विश्लेषण से दूर हो जाएंगे। यह केवल क्रिएटर इकोनॉमी को नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र में सूचना के अधिकार को भी चोट पहुँचाता है। यह सिर्फ यूट्यूब का मामला नहीं है, बल्कि डिजिटल राइट्स का बड़ा संकट है। कानूनी विशेषज्ञों की राय Internet Freedom Foundation (IFF) जैसे संगठनों ने ANI के इस कथित व्यवहार की जांच की मांग की है। कई कानूनी जानकार मानते हैं कि कॉपीराइट कानून का इस प्रकार दुरुपयोग करना ‘कॉपीराइट ट्रोलिंग’ कहलाता है, जो नैतिक और कानूनी दोनों रूप से गलत है। भारत में सूचना के अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान द्वारा संरक्षित है। अगर ANI जैसा संस्थान इन अधिकारों का दमन करता है, तो इसके खिलाफ कठोर कार्रवाई आवश्यक है। एकतरफा मीडिया बनाम स्वतंत्र क्रिएटर्स आज के समय में जब पारंपरिक मीडिया संस्थानों की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं, डिजिटल क्रिएटर्स ही सच्चाई सामने लाने का माध्यम बन चुके हैं। अगर उन्हें ही चुप कराया जा रहा है, तो यह लोकतंत्र की आवाज़ को कुचलने जैसा है। ANI जैसे संस्थानों को चाहिए कि वे पारदर्शिता बरतें, और अगर वे गलत नहीं हैं तो सामने आकर स्थिति स्पष्ट करें। हमें जरूरत है: क्या सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए? बिलकुल। जब बात अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और डिजिटल अधिकारों की आती है, तो सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह स्थिति की जांच करे और न्याय सुनिश्चित करे। यदि ANI जैसे प्रतिष्ठान कॉपीराइट कानूनों का उपयोग कर डिजिटल सेंसरशिप का साधन बना रहे हैं, तो यह लोकतांत्रिक मूल्यों पर सीधा हमला है। सरकार को चाहिए कि: ANI की चुप्पी: क्या ये स्वीकारोक्ति है? अब तक ANI की ओर से इस गंभीर आरोप पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। उनकी चुप्पी कई सवालों को जन्म देती है। अगर उनका पक्ष सही है, तो उन्हें सामने आकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। और यदि आरोप सही हैं, तो यह भारतीय मीडिया के लिए अत्यंत शर्मनाक स्थिति है। मीडिया को जनता की सेवा करनी चाहिए, ना कि डर और दबाव का माध्यम बनना चाहिए। क्रिएटर्स को क्या करना चाहिए? आखिर सवाल यह है: ANI को डर किस बात का है? जब क्रिएटर्स केवल समाचार की सच्चाई दिखा रहे हैं, और जब वे किसी गलत सूचना को उजागर कर रहे हैं—तो ANI या किसी भी मीडिया हाउस को वास्तविकता से डर क्यों लग रहा है? अगर कोई संस्थान पारदर्शी है, तो उसे आलोचना से घबराना नहीं चाहिए। ये स्कैम नहीं तो और क्या है, जब तथ्यों पर आधारित कंटेंट को दबाने के लिए कानून का सहारा लेकर आर्थिक वसूली की जाए? हमारी अपील: सच की लड़ाई में साथ आएं यह लेख केवल ANI के खिलाफ नहीं है—यह उस पूरे सिस्टम के खिलाफ है जो डिजिटल स्वतंत्रता को खत्म करने की कोशिश कर रहा है। अगर आज हम चुप रहे, तो कल हमारी आवाज भी खामोश कर दी जाएगी। निष्कर्ष: एक स्वतंत्र डिजिटल भारत के लिए आवाज़ उठाएं भारत का यूट्यूब इकोसिस्टम विश्व के सबसे बड़े क्रिएटिव प्लेटफॉर्म्स में से एक है। इसे ऐसे ही दबाया नहीं जा सकता। कॉपीराइट का उद्देश्य रचनात्मकता की सुरक्षा है—ना कि इसका गला घोंटना। क्रिएटर्स की आवाज़ दबाने की कोशिशों के खिलाफ खड़े हों। सच, तर्क और फेयर यूज़ के अधिकार की रक्षा करें। Continue Reading…

Adampur Air Base से भारत का जवाब – सैन्य मजबूती और पाक के झूठे दावों का पर्दाफाश

Adampur Air Base

Adampur Air Base, जो पंजाब में स्थित है, वहां 13 मई 2025 की सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दौरा किया। यह दौरा ऐसे समय पर हुआ जब हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने इस Air Base को लेकर कई भ्रामक दावे किए थे। प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा न केवल भारतीय वायुसेना के जवानों का मनोबल बढ़ाने के लिए था, बल्कि भारत की एयर डिफेंस क्षमता को दिखाने और पाकिस्तान के झूठे दावों की सच्चाई उजागर करने के उद्देश्य से भी था। देशभर में इस दौरे को लेकर गर्व और उत्साह की लहर है। Adampur Air Base : इतिहास और महत्व Adampur Air Base पंजाब के जालंधर के पास स्थित है और भारतीय वायुसेना का दूसरा सबसे बड़ा एयरबेस माना जाता है।1950 के दशक में स्थापित यह बेस 1965, 1971 और करगिल युद्ध में निर्णायक भूमिका निभा चुका है।यहां से मिग-29 और सु-30 एमकेआई जैसे आधुनिक फाइटर जेट्स ऑपरेट होते हैं, जो उत्तर भारत की वायु सुरक्षा की रीढ़ हैं।2022 में यहां S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की तैनाती के बाद यह बेस और भी महत्वपूर्ण हो गया है, जिससे पंजाब, जम्मू-कश्मीर और राजस्थान जैसे सीमावर्ती राज्यों की सुरक्षा और मजबूत हुई। हालिया घटनाक्रम: PM Modi का दौरा और Pakistan के दावे 7 मई 2025 को India ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत Pakistan अधिकृत कश्मीर और Pakistan के भीतर नौ आतंकी ठिकानों को सफलतापूर्वक निशाना बनाया।इसके जवाब में Pakistan ने 9-10 मई की रात आदमपुर सहित चार एयरबेस को निशाना बनाने का दावा किया और कहा कि उसने S-400 सिस्टम और रनवे को नुकसान पहुंचाया है।13 मई को प्रधानमंत्री मोदी ने एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह के साथ Adampur Air Base का दौरा किया, जवानों से मुलाकात की और ऑपरेशन सिंदूर में शामिल पायलट्स व स्टाफ का हौसला बढ़ाया।पीएम मोदी ने S-400 सिस्टम और मिग-29 के सामने खड़े होकर फोटो साझा की, जिससे पाकिस्तान के दावों की हकीकत सामने आ गई। आधिकारिक बयान और सोशल मीडिया प्रतिक्रिया प्रधानमंत्री मोदी ने अपने दौरे के बाद ट्वीट किया: “आज सुबह आदमपुर एयर फोर्स स्टेशन पर हमारे वीर वायु सैनिकों और जवानों से मिलना एक विशेष अनुभव रहा। ये सभी साहस, दृढ़ता और निडरता की मिसाल हैं। भारत अपने सशस्त्र बलों का हमेशा ऋणी रहेगा।” रक्षा विशेषज्ञों, बॉलीवुड हस्तियों और आम नागरिकों ने सोशल मीडिया पर जवानों के साहस और सरकार की तत्परता की सराहना की।#AdampurAirBase, #S400, #OperationSindoor जैसे हैशटैग ट्विटर पर ट्रेंड करने लगे।पाकिस्तान के झूठे दावों पर भी सोशल मीडिया पर जमकर चर्चा हुई और सैटेलाइट इमेजरी व मीडिया रिपोर्ट्स ने साफ किया कि आदमपुर एयरबेस को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। असर और परिणाम Adampur Air Base : प्रमुख तथ्य तथ्य विवरण स्थान जालंधर, पंजाब स्थापना 1950 के दशक संचालन भारतीय वायुसेना प्रमुख विमान मिग-29, सु-30 एमकेआई S-400 तैनाती 2022 ऐतिहासिक भूमिका 1965, 1971, करगिल, ऑपरेशन सिंदूर रनवे पूरी तरह ऑपरेशनल, कोई नुकसान नहीं निष्कर्ष और आगे की दिशा Adampur Air Base ने एक बार फिर साबित किया कि वह भारत की वायु सुरक्षा का मजबूत किला है। प्रधानमंत्री मोदी का दौरा न सिर्फ जवानों के लिए गर्व का क्षण था, बल्कि पाकिस्तान और दुनिया को यह संदेश भी गया कि भारत की सैन्य शक्ति और मनोबल अटूट है।आगे भी आदमपुर एयर बेस सीमावर्ती राज्यों की सुरक्षा और देश की वायु सीमाओं की रक्षा में अग्रणी भूमिका निभाता रहेगा।अब देश की नजरें ऑपरेशन सिंदूर के बाद की रणनीतिक गतिविधियों और भारत की सुरक्षा नीति पर टिकी हैं। Read more

Operation Sindoor 2025: भारत की आतंक पर सबसे बड़ी कार्रवाई

Operation Sindoor

हमला जिसने भारत को झकझोर दिया 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को गुस्से और दुख से भर दिया। इस हमले में 26 भारतीय और 1 नेपाली नागरिक की जान गई। इस हमले की ज़िम्मेदारी ‘The Resistance Front’ ने ली, लेकिन इसके पीछे पाकिस्तान का पूरा नेटवर्क सक्रिय था। भारत ने साफ कर दिया कि अब जवाब कड़ा और निर्णायक होगा। Operation Sindoor का प्लान और अंजाम 6-7 मई की रात, सिर्फ़ 25 मिनट में भारतीय सेना ने इतिहास रच दिया। Air Force, Army और Navy के coordinated mission में Pakistan और PoK के 9 बड़े आतंकी ठिकानों को एक साथ निशाना बनाया गया।Targeted locations में शामिल थे – बहावलपुर, मुरीदके, गुलपुर, भिंबर, चाक अमरू, बाग, कोटली, सियालकोट और मुजफ्फराबाद। ये वही ठिकाने थे जहां से भारत पर हमलों की साज़िशें रची जाती थीं और जहां कसाब, हेडली जैसे आतंकियों को ट्रेनिंग दी गई थी। 90 से ज्यादा आतंकियों का खात्मा Operation Sindoor के तहत precision airstrikes में 90 से ज़्यादा आतंकियों के मारे जाने की खबर है। Air Force के फाइटर जेट्स और missiles ने इन locations को पूरी तरह तबाह कर दिया। प्रधानमंत्री की निगरानी में चला मिशन Prime Minister Narendra Modi ने इस पूरे ऑपरेशन की खुद निगरानी की और इसका नाम दिया “Operation Sindoor” — जो शहादत, बलिदान और साहस का प्रतीक बना। Pakistan की प्रतिक्रिया और भारत का स्पष्ट जवाब Pakistan ने इस कार्रवाई को ‘war-like’ बताया, लेकिन भारत ने दो टूक कहा — हम केवल आतंक के infrastructure को target कर रहे हैं, आम नागरिकों को नहीं।भारत का संदेश साफ है — Zero Tolerance for Terrorism. इतिहास में नई इबारत Operation Sindoor ना सिर्फ़ पहलगाम हमले का जवाब था, बल्कि ये 2008 Mumbai Attack, 2016 Uri Attack और 2019 Pulwama Attack जैसे कई ज़ख्मों का भी हिसाब था। 1971 के बाद यह पहली बार था जब भारत ने इतने बड़े पैमाने पर पाकिस्तान के अंदर कार्रवाई की। नया भारत, नई नीति अब भारत सिर्फ़ शांति की बात नहीं करता, ज़रूरत पड़ने पर जवाब भी देता है — वो भी दुगुनी ताकत से।Operation Sindoor एक चेतावनी है — आतंक कहीं भी हो, अब सुरक्षित नहीं। Read to more

Mock Drill District Name List 2025: पूरे भारत में मॉक ड्रिल के लिए ज़रूरी ज़िलों की लिस्ट जारी

Mock Drill District Name List

Mock Drills क्यों हैं ज़रूरी? Mock Drill District Name List: मॉक ड्रिल आपदा प्रतिक्रिया को मज़बूत करने और सिविल डिफेंस की तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिए बेहद ज़रूरी हैं। गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) ने रणनीतिक, औद्योगिक और आपदा संवेदनशीलता के आधार पर देश भर के प्रमुख जिलों की पहचान की है, जहां नियमित रूप से मॉक ड्रिल आयोजित की जाएंगी। Mock Drill Districts Categorization गृह मंत्रालय ने इन जिलों को उनकी प्राथमिकता के अनुसार तीन श्रेणियों में बाँटा है: Mock Drill District Name List Category I Districts (High Priority): सबसे ज़्यादा ज़रूरी ज़िले इन जिलों में रणनीतिक संस्थान, औद्योगिक क्षेत्र, परमाणु संयंत्र, तेल रिफाइनरी, बंदरगाह और रक्षा अड्डे होने के कारण इनकी प्राथमिकता सबसे ज़्यादा है। राज्य और जिले: Category II Districts (Medium Priority): मध्यम प्राथमिकता वाले ज़िले Category III Districts (Low Priority): कम प्राथमिकता वाले ज़िले Mock Drills Ke Fayde: जानिए क्यों होते हैं मॉक ड्रिल इन जिलों का चयन खतरे के स्तर, जनसंख्या घनत्व, औद्योगिक गतिविधियों और रणनीतिक स्थानों के नजदीक होने के आधार पर किया गया है। Mock Drill District Name List Pdf: आधिकारिक Mock Drill District Name List की PDF, जिसे सभी सरकारी एजेंसियां, स्वयंसेवक और नागरिक देख सकेंगे। Conclusion: मॉक ड्रिल्स राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए बेहद अहम हैं। अगर हम तयशुदा Mock Drill जिलों की जानकारी रखें तो स्थानीय प्रशासन, स्वयंसेवक और आम जनता मिलकर एक ज्यादा सुरक्षित और तैयार भारत बना सकते हैं। Stay Safe. Stay Prepared.